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तेजी से मजबूत हो रहा मिडिल क्लास, भारत की संपत्ति ने तोड़ दिया 8 साल का रिकॉर्ड

भारत अब दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते धन बाज़ारों में शामिल हो गया है। एलियांज ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 2024 में भारतीय घरेलू वित्तीय संपत्ति में 14.5 प्रतिशत की साल-दर-साल वृद्धि हुई, जो पिछले आठ वर्षों की सबसे बड़ी छलांग है। यह उछाल भारत के मध्यम वर्ग की बढ़ती ताक़त और बचत प्रवृत्ति को भी दिखाता है। पिछले 20 वर्षों में भारत की वास्तविक प्रति व्यक्ति वित्तीय संपत्ति पाँच गुना बढ़ चुकी है। 2024 में प्रतिभूतियों ने सबसे बड़ा योगदान दिया और 28.7 प्रतिशत की तेज़ी दर्ज की। वहीं बीमा और पेंशन में 19.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। बैंक जमा, जो अब भी घरेलू पोर्टफोलियो का 54 प्रतिशत हिस्सा हैं, में 8.7 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली।

मुद्रास्फीति समायोजन के बाद भी वित्तीय संपत्ति में 9.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे भारतीयों की क्रय शक्ति महामारी-पूर्व स्तर से 40 प्रतिशत ऊपर चली गई। इसके विपरीत, पश्चिमी यूरोप की क्रय शक्ति अब भी 2019 की तुलना में 2.4 प्रतिशत कम है।रिपोर्ट बताती है कि 2024 में प्रति भारतीय शुद्ध वित्तीय संपत्ति $2,818 तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15.6 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, असमानता का ग्राफ़ भी बढ़ा है- भारत की शीर्ष 10 प्रतिशत आबादी के पास घरेलू संपत्ति का 65 प्रतिशत हिस्सा है, जो 2004 के 58 प्रतिशत से कहीं अधिक है। वैश्विक स्तर पर भी तस्वीर दिलचस्प है। पिछले दशक में अमेरिका ने वैश्विक संपत्ति वृद्धि में 47 प्रतिशत का योगदान दिया, चीन ने 20 प्रतिशत और पश्चिमी यूरोप ने 12 प्रतिशत। दुनिया भर में प्रतिभूतियों की संपत्ति में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो बैंक जमा और बीमा/पेंशन से कहीं आगे रही। लेकिन भारत अब भी इस निवेश के मामले में पीछे है—जहाँ अमेरिकी 59 प्रतिशत और पश्चिमी यूरोपीय 35 प्रतिशत निवेश प्रतिभूतियों में करते हैं, वहीं भारत का हिस्सा सिर्फ 13 प्रतिशत है।

NEWS SOURCE Credit :punjabkesari

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