Rapid24news

Har Khabar Aap Tak

विद्रोहियों के साथ मिलकर खजाना लूटने की तैयारी, भारत की बढ़ेगी डबल टेंशन, चीन ने अब म्यांमार पर कसा शिकंजा

गृहयुद्ध से जूझ रहे म्यांमार की धरती अब एशिया की नई ‘खनिज जंग’ का मैदान बन गई है। यहां की  रेयर अर्थ खदानों (दुर्लभ खनिज तत्वों) पर चीन की पकड़ तेजी से मज़बूत हो रही है। इन खदानों से निकलने वाली धातुएं हाई-टेक हथियारों से लेकर मोबाइल और इलेक्ट्रिक कारों तक हर जगह इस्तेमाल होती हैं। यही वजह है कि चीन न केवल म्यांमार की सेना बल्कि  विद्रोही गुटों से भी हाथ मिला रहा है। भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि म्यांमार उसका रणनीतिक पड़ोसी  है और वहां भारत ने अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है।

 चीन का खेल गृहयुद्ध की आड़ में खनिज कब्ज़ा
2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में विद्रोह बढ़ा।
खासतौर से काचिन प्रांत  में विद्रोही गुटों ने खनिज खदानों पर कब्ज़ा कर लिया।
चीनी कंपनियां इन गुटों से गुप्त समझौते कर रही हैं और बदले में खनन अधिकार ले रही हैं।
शोधकर्ताओं का दावा है कि यह सब चीन के ‘स्ट्रेटेजिक एजेंडा’ का हिस्सा है।

 चीन की तिजोरी में म्यांमार का खजाना
2021 के बाद से चीन ने 1.70 लाख टन रेयर अर्थ म्यांमार से आयात किया।
खदानों पर नियंत्रण रखने वाले गुट चीन समर्थित बताए जाते हैं।
इन खनिजों से चीन दुनिया को अपनी सप्लाई चेन का गुलाम  बना रहा है।
चीन पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा रेयर अर्थ उत्पादक है, म्यांमार ने उसकी पकड़ और बढ़ा दी है।

भारत के लिए दोहरी टेंशन
टेक्नोलॉजी पिछड़ने का डर: रेयर अर्थ धातुओं का इस्तेमाल मिसाइल, सैटेलाइट, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक व्हीकल और हाई-टेक इंडस्ट्री में होता है। चीन शोधन तकनीक पर नियंत्रण रखकर भारत और दुनिया को पीछे छोड़ना चाहता है। रणनीतिक खतरा: म्यांमार भारत की पूर्वोत्तर सीमा से जुड़ा है। वहां चीन का प्रभाव बढ़ना भारत की सुरक्षा और निवेश दोनों के लिए खतरा है। म्यांमार का गृहयुद्ध अब केवल सत्ता संघर्ष नहीं रहा, यह खनिज युद्ध  में बदल चुका है। चीन इस आग में अपने हित तलाश रहा है और भारत के सामने एक नई भू-राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है।

NEWS SOURCE Credit :punjabkesari

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp