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33 देशों से लौटे प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे प्रधानमंत्री, ऑपरेशन सिंदूर के लिए वैश्विक समर्थन जुटाने को तैयार भारत

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद जिस तरह से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया है, वह सिर्फ सैन्य स्तर पर नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी एक ठोस कदम माना जा रहा है। इस ऑपरेशन के तहत भारत ने दुनिया के 33 देशों में बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल भेजे थे, जिनका मकसद था भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को दुनिया के सामने रखना और वैश्विक समर्थन जुटाना। इन प्रतिनिधिमंडलों में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसद, वरिष्ठ नेता और अनुभवी राजनयिक शामिल थे। यह भारत की राजनीतिक एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण का उदाहरण है। अब ये सभी प्रतिनिधि अगले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और उन्हें अपनी विदेश यात्राओं के अनुभव व उपलब्धियों की जानकारी देंगे।

9 या 10 जून को हो सकती है पीएम मोदी से अहम बैठक

सूत्रों के मुताबिक, यह महत्वपूर्ण बैठक 9 या 10 जून को नई दिल्ली में आयोजित हो सकती है। इसमें प्रतिनिधिमंडलों के सदस्य प्रधानमंत्री को विस्तार से बताएंगे कि किन-किन देशों में उन्होंने बैठकें कीं, किन स्तरों पर बातचीत हुई और पहलगाम हमले तथा आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृष्टिकोण पर कैसी वैश्विक प्रतिक्रिया रही।

सात प्रतिनिधिमंडल, सात बड़े चेहरे: संसद की साझा आवाज

भारत सरकार ने इस बार प्रतिनिधिमंडलों के चयन में सर्वदलीय भावना को प्राथमिकता दी। कुल सात प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया गया और हर प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किसी प्रमुख सांसद को सौंपा गया। इसमें सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के नेताओं को शामिल किया गया:

  • रविशंकर प्रसाद – भारतीय जनता पार्टी
  • संजय कुमार झा – जनता दल (यूनाइटेड)
  • बैजयंत पांडा – भारतीय जनता पार्टी
  • कनिमोझी करुणानिधि – द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
  • सुप्रिया सुले – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
  • श्रीकांत एकनाथ शिंदे – शिवसेना

इस बहुपक्षीय प्रतिनिधित्व का उद्देश्य था कि भारत की आवाज को दुनिया में एकजुट स्वर में पेश किया जाए।

देशों में भारत की आवाज़ लेकर पहुंचे प्रतिनिधि

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तेज़ी से कूटनीतिक मोर्चे पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, उसका हिस्सा बने 33 देशों में भेजे गए सात विशेष बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल। इन प्रतिनिधिमंडलों में शामिल थे विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ सांसद, अनुभवी राजनयिक और राजनीतिक नेता, जिन्हें एक ही उद्देश्य के तहत भेजा गया – भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को स्पष्ट करना और वैश्विक समर्थन जुटाना। शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, संजय कुमार झा, बैजयंत पांडा, कनिमोझी करुणानिधि, सुप्रिया सुले और श्रीकांत शिंदे जैसे वरिष्ठ नेता इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व कर रहे थे। इनका मुख्य उद्देश्य था पहलगाम हमले की गंभीरता को समझाना, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति से देशों को अवगत कराना, रणनीतिक साझेदारियों को मज़बूत करना और आतंकवाद को एक साझा वैश्विक खतरे के रूप में स्थापित करना।

प्रधानमंत्री के साथ विशेष बैठक, रिपोर्ट सौंपेंगे प्रतिनिधि

अब यह सभी प्रतिनिधि 9 या 10 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और अपने-अपने देशों में किए गए कूटनीतिक प्रयासों की विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे। इन रिपोर्टों में बताया जाएगा कि किन-किन देशों में उच्च स्तरीय बैठकें हुईं, किन देशों ने भारत का खुला समर्थन किया और किनसे आगे द्विपक्षीय सहयोग की संभावना बन रही है। सूत्रों के अनुसार, इन रिपोर्टों में यह भी शामिल होगा कि आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता पर भारत के दृष्टिकोण को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया क्या रही। यह रिपोर्ट सरकार के आगामी रणनीतिक और सुरक्षा नीतिगत निर्णयों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो सकती है।

4 जून को मंत्रिपरिषद की अहम बैठक, ऑपरेशन सिंदूर की समीक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 जून को शाम 4:30 बजे केंद्रीय मंत्रिपरिषद की अहम बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह बैठक इसलिए भी विशेष मानी जा रही है क्योंकि यह पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पहली उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक होगी। संभावना है कि इस बैठक में अब तक की सैन्य, सुरक्षा और कूटनीतिक प्रगति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। साथ ही प्रतिनिधिमंडलों से मिले फीडबैक और वैश्विक प्रतिक्रियाओं को शामिल कर, आगे की नीति तय की जाएगी। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ न केवल सीमा पर सख्त है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक ठोस संदेश देने की दिशा में सक्रिय है।

NEWS SOURCE Credit :punjabkesari

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