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जानें क्या है इसका महत्व? देशभर में आज मनाया जा रहा अंत्योदय दिवस

देशभर में आज अंत्योदय दिवस मनाया जा रहा है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिन को देश में अंत्योदय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार साल 2014 में अंत्योदय दिवस मनाया गया। देश में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जन्मदिन अंत्योदय दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। बता दें कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय की सोच अंतिम व्यक्ति के उत्थान को समर्पित थी। उनका विजन समाज के अंतिम व्यक्ति की आश्यकताओं पर केंद्रित था। वह हमेशा समाज के वंचित वर्ग के उत्थान के बारे में काम करने की बात कहते थे।

दरअसल, पंडित दीन दयाल उपाध्याय भारतीय जन संघ के संस्थापक और पॉलिटिकल थिंकर थे। उनका मानना था कि अंतिम व्यक्ति का भी कल्याण हो। जिस व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, उनका कल्याण हो और सामाजिक समानता स्थापित हो सके। आखिरी व्यक्ति का उत्थान ही पंडित दीन दयाल उपाध्याय का मंत्र था। भारतीय जनता पार्टी अब उनके मिशन को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है। इसी क्रम में उनके जन्मदिन को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंत्योदय दिवस क्या है महत्व?

पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने अंत्योदय का नारा दिया था। अंत्योदय का अर्थ होता है कि हम समाज में सबसे आखिरी व्यक्ति के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करें। दीनदयाल कहते थे कि कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर विकास नहीं कर सकता। हमें भारतीय राष्ट्रवाद, हिंदू राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति को समझना होगा। दीन दयाल के इस विचार की वजह से ही उनकी जयंती (25 सितंबर) को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाते हैं। मोदी सरकार ने 25 सितंबर, 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98 वीं जयंती के अवसर पर ये घोषणा की थी कि उनकी जयंती को ‘अंत्योदय दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जीवन

मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में 25 सितंबर 1916 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था। उनके माता-पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था। पढ़ाई के बाद दीन दयाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और आजीवन संघ के प्रचारक के रूप में जीवन गुजारा। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। जनसंघ का 1952 में प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ तो दीनदयाल इस दल के महामंत्री बने। इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 दीन दयाल उपाध्याय ने प्रस्तुत किए थे। इस दौरान डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि अगर मुझे 2 दीन दयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल दूंगा। दिसंबर 1967 में वह जनसंघ के अध्यक्ष भी बने। 10/11 फरवरी 1968 की रात में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई थी।

NEWS SOURCE Credit :indiatv

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