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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार का बड़ा कदम, दिल्ली में आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए नया अभियान

दिल्ली की सड़कों पर आवारा कुत्तों के लिए सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने ACB नियम 2023 के तहत बड़ा अभियान छेड़ा है। इस अभियान के तहत कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण पर विशेष जोर दिया जाएगा, ताकि उनकी आबादी पर नियंत्रण हो सके और इंसानों व जानवरों के बीच संतुलन और सह-अस्तित्व सुनिश्चित किया जा सके।

दिल्ली में क्या होगा खास?

दिल्ली में मौजूद 78 सरकारी पशु अस्पतालों में से 24 को विशेष टीकाकरण केंद्रों में बदला जाएगा। राजधानी में करीब 8 लाख आवारा कुत्ते हैं और इस अभियान के तहत उनकी नसबंदी के साथ-साथ रेबीज जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी स्थान पर छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि, रेबीज से ग्रस्त या आक्रामक स्वभाव वाले कुत्तों को सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि उन्हें अलग शेल्टर या पाउंड में रखा जाएगा। इस मिशन में दिल्ली सरकार के साथ-साथ एनजीओ, निजी पशु अस्पताल और वॉलंटियर्स भी शामिल होंगे। सभी मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश करेंगे, जो न केवल कुत्तों की भलाई के लिए बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी सुरक्षित और मानवीय हो।

लखनऊ मॉडल है देश के लिए एक मिसाल

सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के एबीसी प्रोग्राम को पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल घोषित किया है। इस मॉडल का मूल मंत्र है – “पकड़ो, नसबंदी करो, टीका लगाओ और वापस छोड़ो।” विशेषज्ञों के मुताबिक यह तरीका मानवीय होने के साथ-साथ वैज्ञानिक रूप से भी बेहद कारगर साबित हुआ है। अदालत ने सभी नगर निगमों को आदेश दिए हैं कि वे आवारा कुत्तों के लिए विशेष फीडिंग जोन और हेल्पलाइन नंबर शुरू करें। लखनऊ में यह प्रयोग वर्षों से सफलतापूर्वक चल रहा है और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की तैयारी है।

शिमला की अनोखी पहल

देश के सबसे पुराने नगर निगमों में से एक शिमला म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (SMC) ने आवारा कुत्तों के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है। अब शिमला की सड़कों पर कुत्तों को GPS-सक्षम QR कोड कॉलर पहनाए जा रहे हैं। इन कॉलरों को स्कैन करने पर कुत्ते की लोकेशन, टीकाकरण की स्थिति और अन्य विवरण तुरंत उपलब्ध हो जाएंगे। शिमला के मेयर सुरिंदर चौहान ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य रेबीज से होने वाली मौतों को कम करना और लोगों की सुरक्षा बढ़ाना है। अब तक 2000 कुत्तों का टीकाकरण हो चुका है। इसके अलावा, आक्रामक कुत्तों की पहचान के लिए उनके कॉलर पर लाल टैग लगाया जा रहा है।

यह पहल इतनी अनोखी साबित हो रही है कि गोवा, मुंबई, महाराष्ट्र, पटियाला और हिमाचल के रामपुर जैसी जगहों की संस्थाएं भी इससे जुड़ रही हैं। मेयर ने दावा किया कि इस कार्यक्रम के तहत देश में पहली बार कुत्तों की जनगणना भी की जाएगी, जिसमें हर कुत्ते का डिजिटल रिकॉर्ड दर्ज होगा। कार्यक्रम के समापन पर इसे औपचारिक रूप से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री लॉन्च करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को छोड़कर बाकी सभी आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य है। ऐसे कुत्तों को प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसी स्थान पर वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। इसके साथ ही कोर्ट ने सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगा दी है और MCD को निर्देश दिया है कि वह हर वार्ड में विशेष फीडिंग स्पॉट बनाए।

NEWS SOURCE Credit :lalluram

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