जानें कैसे बनते गए मौजूदा समीकरण, भारत को लेकर चीन का अचानक क्यों बदला रुख?

भारत और चीन के रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। आज 19 अगस्त को दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने, सरहद पर शांति बनाए रखने और दोस्ताना ताल्लुकात को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि दोस्त मानना चाहिए। वांग यी ने यह भी वादा किया कि चीन भारत को रेयर अर्थ मटेरियल्स, फर्टिलाइजर्स और टनल बोरिंग मशीनों की सप्लाई समय पर और बिना किसी रुकावट के करेगा। अब सवाल यह उठता है कि आखिर चीन के रुख में आए इस बदलाव की वजह क्या है। आइए, वांग यी के बयान से समझते हैं।
वांग यी के बयान में दिखा चीन का बदला रुख
वांग यी ने इस मौके पर कहा, ‘सीमा विवाद की वजह से दोनों देशों को नुकसान हुआ है। अब रिश्ते सुधर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि पीएम मोदी के चीन दौरे से ताल्लुकात और बेहतर होंगे।’ उन्होंने यह भी माना कि भारत और चीन को आपसी सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों को व्यापार और व्यवहार में एक-दूसरे का साथ देना चाहिए। हालांकि, चीन ने भारत से ताइवान के साथ नजदीकी न बढ़ाने की गुजारिश की थी, लेकिन जयशंकर ने साफ कर दिया कि भारत ताइवान के साथ अपने कारोबारी और सांस्कृतिक रिश्ते खत्म नहीं करेगा।
क्या है चीन के रुख में बदलाव की वजह?
चीन के इस बदले रुख के पीछे भारत की मजबूत रणनीति और सरहद पर तेजी से विकसित हो रहा बुनियादी ढांचा है। भारत ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर सड़कों, पुलों, सुरंगों और हवाई पट्टियों का निर्माण तेज कर दिया है। खास तौर पर पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड अगले महीने शुरू होने जा रही है। यह दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है, जो 13,700 फुट की ऊंचाई पर बनी है। यह LAC से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर है। इस एयरफील्ड से ग्लोबमास्टर जैसे भारी कार्गो विमान, सुखोई, राफेल, मिग-29 जैसे लड़ाकू विमान और अपाचे, MI-17 जैसे अटैक हेलीकॉप्टर आसानी से उतर सकेंगे। आपात स्थिति में भारत तेजी से सैनिकों और सैन्य उपकरणों को तैनात कर सकेगा।
DS-DBO सड़क बनी भारत की ताकत
पूर्वी लद्दाख में दुर्बुक से दौलत बेग ओल्डी (DBO) तक 256 किलोमीटर लंबी DS-DBO रोड ने भारत की सामरिक ताकत को और बढ़ा दिया है। पहले इस रास्ते पर 10-12 घंटे लगते थे, लेकिन अब यह दूरी 5 घंटे से कम में तय होगी। कर्नल महेश ने इस बारे में कहा, ‘पहले ऊबड़-खाबड़ रास्तों की वजह से सैनिकों और हथियारों को LAC तक पहुंचाने में मुश्किल होती थी। अब DS-DBO रोड ने यह काम आसान कर दिया है।’ इस सड़क पर 35 नए पुल बनाए गए हैं, जिनसे टैंक, मिसाइल लॉन्चर ट्रक और बख्तरबंद गाड़ियां आसानी से गुजर सकेंगी। अरुणाचल प्रदेश में भी कई लंबी सुरंगें और नई सड़कें बन रही हैं।
चीन को भारत की ताकत का अहसास
चीन को अब समझ आ गया है कि भारत के साथ टकराव से दोनों देशों का नुकसान है। भारत ने पिछले 10 साल में सीमा पर बुनियादी ढांचे को चार गुना तेजी से विकसित किया है। NSA अजीत डोवल की मेहनत से भारत-चीन रिश्तों में यह सुधार आया है। वांग यी के दौरे से यह भी साफ है कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियां भारत और चीन दोनों के लिए चुनौती हैं। अगर दोनों देश साथ मिलकर काम करें, तो इसका मुकाबला आसान होगा। चीन ने महसूस किया है कि भारत की बढ़ती ताकत और उसका बुनियादी ढांचा अब उसे नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है।
NEWS SOURCE Credit :indiatv